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विद्युत का परिचय ( Introduction Of Electric )

 विद्युत के बारे में विद्वानों का मत है कि सभी पदार्थ विद्युतमय ( Electrified ) है। प्रत्येक पदार्थ में विद्युत विद्यमान है। जैसे यदि एक कांच के टुकड़े को रेशम से रगड़ा जाए तो उसमें से एक ऐसी विशेषता पैदा हो जाती है जिससे वह कागज के टुकड़ों को अपनी ओर खींचने लगता है। विद्युत को देख नहीं सकते लेकिन उसके प्रभाव को मालूम कर सकते हैं कि विद्युत है या नहीं।                                        
  इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत (Electronic Theory) परमाणु की बनावट के बारे में विद्वानों का मत है कि प्रत्येक परमाणु प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन तथा न्यूट्रॉन युक्त होता है प्रत्येक परमाणु के केंद्र में एक न्यूक्लियस या न्यूक्लिी जिसमें प्रोटॉन न्यूक्लियस के चारों ओर अंडाकार परिपथ (Elliptical Orbit) में इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं जैसे कि सूर्य के चारों तरफ अन्य ग्रह घूमते हैं। इलेक्ट्रॉन मात्रा में प्रोटॉन मात्रा का 1/1845 होता है। न्यूक्लियस के निकटवर्ती आरिबट ( Orbit) में परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रॉन्स अधिक आकर्षक बंधन में होते हैं ज्यों - ज्यों अक्ष की दूरी न्यूक्लियस केंद्र से बढ़ती जाती है इलेक्ट्रोंस का स्वतंत्र परिभ्रमण बढ़ता जाता है।                  
 यदि स्वतंत्र परिक्रिमत इलेक्ट्रॉनों को किसी अन्य दबाव (Pressure) से प्रभावित कर मध्यम दे दिया जाए तो इलेक्ट्रॉन अपने अक्ष के विचलित (Move) होकर दिए हुए दिए गए माध्यम से प्रभावित हो जाते हैं। इसी इलेक्ट्रॉन प्रवाह को विद्युत प्रवाह कहते हैं।                  
इस प्रकार विद्युत सभी पदार्थों में कम या अधिक मात्रा में पाई जाने वाली यह संभावित शक्ति हैं जिसमें कार्य करने की क्षमता होती है। कोई भी साधन जो कार्य करने की क्षमता रखता है उसे ऊर्जा धारी कहते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विद्युत एक ऊर्जा है जो कि अदृश्य है और केवल प्रभावों से जानी जा सकती हैं                        
यह किसी प्रकार की ऊर्जा को खर्च करने पर प्राप्त की जा सकती हैं कुछ भी हो विद्युत गतिशील ऊर्जा (Kinetic Energy) है                                

पदार्थ ( Material )

पदार्थ स्थान गिरता है या उसका अपना भार होता है जिसके कारण वह पृथ्वी के केंद्र की तरफ आकर्षित होता है प्रत्येक पदार्थ परमाणु तथा अणु से बना होता है पदार्थ ठोस और तरल गैस के रूप में होते हैं।    

अणु ( Moliecule) 

पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण जिसमें वास्तविक रूप से मूल पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण विद्यमान हो उसे अणु कहते हैं। वस्तुत: मूल पदार्थ का प्रदर्शिक है। ठोस पदार्थ के अणु आपस में घनिष्ठता से ठोस पदार्थ को अपना आकार बदलने से रोकती हैं।                                    

तरल या द्रव पदार्थ ( Liquid Substance )           

पदार्थ के अणु अति घनिष्ठता में संगठित नहीं होते हैं। उनकी पारंपरिक आकर्षण शक्ति कम होती है। अणु एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमने के लिए स्वतंत्र होते हैं फलत: द्रव अपना आकार आवश्यकता अनुसार बदल लेता है।              
गैस पदार्थ  मैं अणु संगठन और भी कम घनिष्ठता से होते हैं अणु पूर्ण स्वतंत्र होते हैं। इसीलिए गैस सरलता से सिकुड़ती या फैलती है।                         

परमाणु ( Atom )

अणु का वह छोटा सा भाग जो की रसायनिक प्रकृतरण (Chemical Separation) से प्राप्त किया जाता है और अणु गुण से विभिन्न होता है उस कण को परमाणु कहते हैं। परमाणु स्वतंत्र नहीं रह सकता। अणु में परमाणुओं की संख्या तत्व पर निर्भर करती है।                            

प्रोटॉन ( Proton ) 

ये धनात्मक ( + Ve ) रूप से अवशोषित होते हैं। इसका द्रव्यमान 1.67 X 10 की पावर 27 होता है।                                                              

इलेक्ट्रॉन्स  ( Electrons )     

ये ऋणआत्मक ( - Ve ) रूप से आवेशित (Charged)होते हैं              
इस प्रकार एक परमाणु में प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन विपरीत आवेग लिए होते हैं। जिनकी संख्या प्रत्येक तत्व के परमाणु में विभिन्न होती है विद्युत तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत से ही शुरु होती है। अतः यह कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉन पदार्थ में विद्युत प्रणाम है जो कि ऋण आत्मक अवशोषित होता है इलेक्ट्रॉन से ही प्रारंभिक विद्युत है। विद्युत परिणाम (Quantity) के अनुसार एक कूलंब में 6.29 X 10  की पावर 18 इलेक्ट्रॉन होते हैं।

न्यूट्रॉन  ( Neutron )

इसमें कोई चार्ज नहीं होता है। तथा इनका द्रव्यमान प्रोटोंज के बराबर होता है। 
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