What Is Flywheel And How It's Work And What Is Crank Case

         Flywheel And Crank Case.

फ्लाई - व्हील (Flywheel)  

फ्लाई व्हील प्राय: स्टील कास्टिंग का गोल पहिया होता है जो क्रैंक्षफ्ट की पिछले फ्लेएंज पर नट बोल्ट द्वारा कसा रहता है एक फ्लाई - व्हील क्रैंक शाफ्ट पर बंधा हुआ रहता है। इसके ऊपर एक रिंग गर्म करके फसाया जाता है जिसके ऊपर सेल्फ स्टार्टर का पिनियन आकार इसको घुमाता है जिससे इंजन स्टार्ट हो जाता है। इसके फेस पर क्लच असेंएबली लगी रहती है।

फ्लाई - व्हील की कार्यप्रणाली ( Working System Of Flywheel )

मानो एक सिंगल सिलेंडर इंजन में एक पावर-स्ट्रोक और तीन अन्य स्ट्रोक होती है जिनके चार्ज के अंदर खींचा जाता है इसे कंप्रेस किया जाता है और फिर एग्जास्ट रूप में उन्हें बाहर धकेल आ जाता है इन तीनों स्टोर को मे इंजन इंजन की कुछ शक्ति लग जाती है । और वह धीमी गति से चलना पसंद करता है । लेकिन साथ में पावर - स्ट्रोक उसे फिर ताकत देती है कि वह चलता रहे पावर - स्ट्रोक के अंदर दी ताकत से फ्लाई - व्हील के अंदर मोमेंट ऑफ इनरिया पैदा हो जाता है। जो तीन आईडल स्ट्रोक में घुमाए रखता है और धीरे नहीं होने देता हैं।

फ्लाई - व्हील के मुख्य कार्य ( Main Function Of Flywheel )

  1. पावर स्ट्रोक में आई हुई घुमाने की शक्ति को स्टोर करके पावर - स्ट्रोक तक क्रैंक - शाफ्ट को घुमाए रखता है।
  2. क्रैंक - शाफ्ट की स्पीड को सामन्य रखता है।
 3. इसके द्वारा ट्रांसमिशन को पावर भेज जाती है।
 4. फ्लाई - व्हील के ऊपर स्टार्टर रिंग लगा रहता रहता है जिनके द्वारा सेल्फ - स्टार्टर से इंजन स्टार्ट किया जाता है ।जितने कम सिलेंडर के इंजन होंगे उतना ही उनका फ्लाई-  व्हील उतना ही भारी होगा तथा वह इजन जिसमें ज्यादा सिलेंडर होंगे उनके फ्लाईव्हील उतने ही हल्के होंगे।

फ्लाई - व्हील के रख - रखाव ( Maintenance Of Flywheel )

फ्लाई - व्हील में वैसे तो कई कोई ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती लेकिन ओवरहाल के समय उस स्थान पर जहां क्लच प्लेट कनेक्ट रहती है वह कभी - कभी खराब हो जाती है अर्थात उसके ऊपर लाइने इत्यादि पड़ जाती है उस दिशा में फ्लाई - व्हील को लेथ मशीन पर चढ़ाकर टर्न करवा ले।
रिंग गियर कभी - कभी खराब हो जाता है इसे बदलने के लिए रिंग गियर को ब्लू - लैंप से गर्म करते हैं । तथा थोड़ा ढीला होने पर ठोक कर बाहर निकाल देते हैं । नया रिंग गियर फिट करते समय रिंग गियर को उपलों की आग पर या गैस टॉर्च से गर्म करते हैं । गर्म हो जाने पर उसका व्यास थोड़ा बड़ा हो जाता है । उस गर्म किए हुए रिंग को फ्लाई - व्हील के ऊपर चढ़ा देते हैं । चढ़ाते समय यह देखना जरूरी है कि फ्लाई -व्हील पर बने कालर के ऊपर पूरा बैठ गया है इसे अपने आप ठंडा होने दें । इसके ऊपर पानी आदि नहीं डालना चाहिए।
फ्लाई - व्हील को क्रैंक - शाफ्ट पर बोल्ट द्वारा पूरी टार्क पर टाइट करें इसके अतिरिक्त क्रैंक - शाफ़्ट को V ब्लॉक पर रखिए और फ्लाईव्हील पर डायल गेज का पॉइंट सेट करें। उसके बाद फ्लाई - व्हील को हाथ से घुमाये और उसका रन आउट चेक करें। यह 0.2 एम - एम  से अधिक नहीं होना चाहिए।
क्रैंक केस ( Crank Case )
क्रैंक केस दो भागों में बना होता है नीचे का भाग ऑल स्पेन कहलाता है यह एल्युमिनियम शीट अथवा स्टील शीट का बना होता है। इसमें इंजन के लुब्रिकेशन के लिए इंजन ऑयल भरा जाता है ऑयल सप के नीचे ड्रेन या ड्रेन प्लग लगा रहता है जिसका प्रयोग इंजन ऑयल को ऑयल पंप से बाहर निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है। क्रैंक केस के ऊपर का भाग सिलेंडर ब्लॉक से जुड़ा रहता है। एवं यह सिलेंडर ब्लॉक का ही एक अंग माना जाता है। इसमें क्रैंक शाफ्ट फिट की जाती है। इसे फिट करने के लिए इसमें दोनों तरफ से स्थान बना रहता है। जहा क्रैंक - शाफ़्ट बेयरिंग के द्वारा जिन्हें मेन बेयरिंग कहा जाता है फिट की जाती है। क्रैंक केस के दोनों भागों, ऑयल संप एवं इसके ऊपर वाले भाग को जोड़ने के लिए ऑयल संप गैसकिट का प्रयोग किया जाता है।

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